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मैं तेरे बिना वहीं खड़ा रह जाता हूं || love hindi poetry



                                        
                                             न जाने कौन सी वजह

से भाग रहा हूं

मैं खुद से ही दूर होता

जा रहा हूं

कैसे रखूं मैं खुद को शांत

मैं खुद में ही कहीं उलझा

सा जा रहा हूं

बड़ी मुश्किल से मिलता है

एक छोर

इतने में ही दूसरा

छूट जाता है

मैं एक को सीमेंट का हूं

दूसरा बिखर जाता है

मैं कितनी कोशिश कर लूं

नाकाम सा रह जाता हूं

मैं तेरे बिना

वहीं खड़ा रह जाता हूं

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