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जब जिंदगी से उखता जाता है इंसान तब उसे लगने लगता है की कोई मेरा नही है / hindi poetry

जब जिंदगी से उखता जाता है इंसान तब उसे लगने लगता है की कोई मेरा नही है और वो खुद की तलाश करता है या फिर उस इश्वर जिसने उसे यहाँ भेजा तलाश में उसे काफी बाते समज अति और काफी नही तो इस पर चंद लाइन लिखी है 




बहुत से खेल होते है जिंदगी में


bahut se khel hote hai zindgi me


जो हमें समझ नहीं आए


jo hame samj nhi aye
वक्त था मैं था पर तुम नहीं आए

waqt tha main tha par tum nhi aye

बड़ी खलिस रही

badi khalish rahi

उस मुकाम पर मुझे तेरी

us mukam par muje teri

आस में पलके जपकी ना मेरी

aas me palke bhi na japki meri

सोचा था कि

socha tha ki

थोड़ी ही दूर हो तुम पर

thodi hi dur ho tum par

यूं तो सदियों का फासला था

u to sadiyao ka fasla tha

यू बातें तो बहुत होती है हमारी

u bate to bahot hoti hai hamari

पर मिलने का एक जरिया न रहा

par milne ka ek jariya na raha

मिलते रहे हम हर ख्याल में

mitlte rahe ham har khyalo main

अब वो खयालो का मेला ना रहा

ab vo khyalo ka mela naa raha

बड़ा ताजुब हुवा मेरे दिल को

bada tajubb huva mere dil ko

तुमसे बिछड़ ने का

tumse bichhad ne kaa

पर ये बात भी अब आम ना रही

par ye baat bhi abb aam naa rahi

बड़ी कश्मकश मैं रहा मेरा दिल

badi kashmksh me raha mera dil

तेरी जुदाई में

teri judai main

भीतर टूट सा गया हु में

bhitar toot saa gaya hu main

अपने किरदार में

apne kirdaar main

बड़ी मुश्किल से मनाया है खुद को

badi mushkil se manaya hai khud ko

कि अब तुम नहीं हो...नहीं हो...नहीं हो

ki ab tum nhi ho ...nhi ho...nhi ho
Radhe...

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