जब रिश्ता टूटता है तब इस बात पर इंसान बहोत दुखी होता वो बीते हुए लम्हों को याद करता है प्रीतम / प्रीतमा के द्वारा दियी हर चीज़ यहाँ तक की एक सुर्ख गुलाब को भी संभाले रखता है अपने दिल की तरह उस चीज़ को भी अपने किसी अलमारी के कोने में जीवनभर संभाले रखना चाहता है तो इसी पर कुछ लिखा था की........
कई किताबें रखी है अलमारी में
kiy kitabe rakkhi hai almari me
उनमें से मेरी पसंदीदा किताब तुम हो
unme se meri pasndida kitab tum ho
जिसके पन्नों को खोलकर सुर्ख गुलाब
jinke panno ko khol kar surkh gulab
सी महक आती है वही ख्याल तुम
si mehek aati hai vahi khayal tum ho
यही वजह रही है की किताब के पन्नों पर
yahi waja rahi hai ki kitab ke panno par
तुम्हारी यादो की सिलवटे है
tumhari yado ki sirvate hai
तुम्हारी दिए गए सिर्फ र्सुख गुलाब रहे
tumhare diye gaye sirf surkh gulab rahe
जब खरीदा था हमने इसको तब साथ थे हम तुम
jab kharida tha hamne ise ko tab sath the ham tum
कहा तुमने बड़े ही चाव से जब मुझे ये किताब दी थी
kaha tumne bade chav se jab muje ye kitab di thi
कहा था संभाल कर रखना
kaha tha sambhaal kar rakhna
जैसे मुझे रखा है
jaise muje rakha hai
देखना कहीं से टूट न जाए
dekhna kahi toot na jaye
वैसे जैसे मुझे संजोयकर रखा है
vaise jese muje sanjokar rakha hai
आज भी अलमारी में इसके लिए
aaj bhi almari me iske liye
एक विशेष स्थान है
ek vishesh sthan hai
जो हर किताबों से अलग है
jo har kitabo se alag hai
जैसे सब से जुदा हमारा रिश्ता है
jaise sab se juda hamara rista hai
वेसे ही इस किताब से मेरा बंधन है
vese hi is kitab se mera bandhan hai
Radhe...
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बहोत चाहने के बाद भी अगर आपको मंजिल ना मिले तो बुरा तो लगता ही है और उस पर भी आपका सबसे करीबी इंसान आपका साथ ना से तो दुःख तो बहोत होता ही तब लगता है की आज तक रिश्ता इतना चला क्युकी पुरे रिश्ते को हम ही संभलकर रखा था बस उसी बात को मदेनज़र रखे हुए कुछ लिखा था.........
तुम से मिलाकर बहुत बेखबर सा रहता हूं
tum se milkar bahut bekhabar saa rahata hu
मैं न जाने क्या ढूंढता रहता हूं
main n jane kya dhudhta rahta hu
यु खोज ने को दुनिया में बहुत सी चीज है
u khoj ne ko duniya me bahut si chize hai
पर न जाने तुम को ही क्यों खोजता रहता हूं
par n jane tum ko hi kyo khojata rahta hu
एक आहट सी होती है
ek aahat si hoti hai
जब लगता है कि तू आया है
jab agata hai ki tu aaya hai
पर जाकर देखा
par jakar dekha
तो वहां एकांत दिखता है
to vahaekant dikhta hai
खुद को भूल सा गया हूं
khud ko bhul saa gaya hu
मैं तुमको पाने की चाहत में
tumko pane ki chahat main
मैं अक्सर यही सोचता हूं
main aksar yhi sochta hu
कि तुमसे ना मिला होता तो बेहतर होता
ki tumse naa mila hota to behatar hota
खेर बिखर गई वो यादे सारी
khair sari bate gai vo sari yaade
जिसको में अकेला संभाले फिरता था
jisko me akele sambhale phirta tha
अब उसे समेटने की जरुरत नही
ab use sametne ki jarurat nhi
मैं जिसको संभाले फिरता था
main jisko sambhale phirta tha
Radhe...
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