इश्क मुक्मबल है मेरा .......Sad Hindi Poetry



मेरा दर्द मेरा गवा है 

मेने तुम से कितनी वफा की  है 

तुम्हे एक उम्र लग जायेगी 

ये समज ते हुए

अगर फिर भी ना जान पाओं

तो मोहब्बत कैसी 

तुम मिले मुझ से ये चाहत कैसी 

तमाम उम्रभर साथ रहने के वादे जूठे 

वो प्यार भरी बाते जूठी 

और हम पागल तुम पे जान वारे

अपनी वफ़ा हारे 

ना नफा देखा ना नुकशान 

आँखे मिचे चल पड़े तेरे पीछे 

खुद को माशूक और तुम्हे मुर्शिद बना बैठे हम 

इंतज़ार के सागर में डूबे

कश्ती को किनारा ना मिला 

हमें तुम्हारा सहारा ना मिला 

आजभी दिल मै जगा  खाली है 

तु आ ये ना आये ये तेरी मर्जी है 

राह तक ना तेरी ये फ़ेसला मेरा है  

तुजे पाना खाव्ब है मेरा

ये ख्वाब अधुरा है मेरा

ख्वाब अधुरा ही सही 

इश्क मुक्मबल है मेरा 

                                Radhe...



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