मैं रंग मैं रंग ना चाहु............ LOVE Hindi Poetry

 


मैं रंग  मैं रंग ना चाहु 

वो मुझसे बचना चाहे 

में उसे टूट के चाहू वो 

मुझे तिनका भी ना प्यार जताए 

ये रंग इश्क का काश उसे भी लग जाये 

में उसके इश्क में और वो मेरे इश्क में डूब जाये 

ये एक तरफा प्यार है मेरा उसे भी समज आए

                                       Radhe...

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मन में उठते भावर को कैसे रोके 

तुम्हारे पास आने से खुद को कैसे रोके 

तुम दूर भी हो पास भी हो 

ये बाते दिल को कैसे समजा आए 

ये जज्ज्बतो कैसे बढ़ते हुए रोकू 

ना वो मेरे बस में है ना मेरा दिल 

कैसे करू मै खुद पे काबू

मेरे होश है बे-खाबू 

 हासरते बढती जा रही है दिल मै 

अब ये बात में तुम्हे कैसे समजाऊ

तुम खुद ही समज जाओ तो अच्छा 

                                       Radhe...









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