तेरे इश्क की मदहोशी ने कही का नही छोड़ा 

बड़े बदनसीब थे इश्क हुवा भी तो तुमसे 

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सदेव के लिए प्रेम दो समजदार लोग ही कर सकते है 

जो समजदार नही होता वो प्रेम को हार जाता है 



तेरी तलाश मेरे दिल को रही और

दिमाग इंकार करता रेह गया....नही....नही

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वक्त से हरा नही वक़्त का मारा हु किसी 

और पर नही तुम पर दिल हरा हु  


तुमसे बिछड़ ना मुझे जीते जी मार गया 

तुम कहते हो क्या हो गया असा की तुम्हारी दुनिया उज़ड़ गई


                                                                                                               Radhe...