एक मुलाकात अधूरी सी रही
हर मुलाकात मे कमी सी रही
बाते कहे ने को थी बहोत
वक्त की कमी सी रही
आने जाने मे वक्त बीतता रहा
चंद लम्हे साथ बेठे थे
ओर हसरत पूरी करने मे
दिल की बात अधूरी सी रही
ना हाल बाता पाते अपना
ना जाता पाते हाले दिल
कुछ बाते थी जो अनकही सी रही
ना ही वादे कीये
ना ही कसमें दी
यु ही मुलाकात होती रही
बिना किसी मुदत के
देख कर ही सूरत मन भर जाता
बात लब्जो ना हो पाती
कहने को बहोत कुछ था
पर हाल बया ना हो पाता
एक मुलाकात अधूरी सी रही
हर मुलाकात मे कमी सी रही
सिलसिला चलता रहा मुलाकात का
मुक्तलफ बाते रह गई
आगे की सोची ही नहीं
वक्त के साथ साथ हम चलते रहे
उसके सिवा किसी ओर के
बारे सोच ही नहीं था
वक्त गुजरात रहा ओर हम चलते रहे
दूर रह कर भी पास था मेरे
ये दिल के जज़्बात थे मेरे
दूरी को भी मोहब्बत का अजाब समजा
करते रहे इतज़ार तुम्हारा
एक मुलाकात अधूरी सी रही
हर मुलाकात मे कमी सी रही
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