Poetry On Navratri in Hindi

नवरात्रि



आसो सुद नवरात्रि आयी 

भक्त दीप जलाए माँ तेरे 

भाव भक्ति से रिजाये बाण तेरे 

माँ शैलीपुत्री प्रथम दुर्गा स्वरूप 

बिराजे वृषभ पर 

धारण हाथ कमल त्रिशूल 

आसो सुद नवरात्रि आयी 

माँ भ्रह्मचारिणी द्वितीय दुर्गा स्वरूप

अत्यंत ज्योतिमय हाथ कमंडल सुशोभती 

कठोर तपस्या से कहेलाई भ्रह्मचारिणी 

आसो सुद नवरात्रि आयी 

चंद्रघण्टा देवी तृतीय दुर्गा स्वरूप

सिंह पर बिराजे मस्तक अर्ध चंद्र सुशोभाती 

रंग स्वर्ण के समान चमकीला 

आसो सुद नवरात्रि आयी 

कूष्मांडा माता चतुर्थ दुर्गा स्वरूप 

चारों ओर अंधकार छाया 

तब अपनी ऊर्जा को बचाया 

आठ भुजाये धारण कर 

सृष्टि का उधार किया  

आसो सुद नवरात्रि आयी 

स्कंदमाता पंचम दुर्गा स्वरूप 

कमल आसान पर बिराजे स्वरूप मन मोहक 

चार भुजा दो मे कमल एक हाथ मुद्रा 

एक हाथ  से गोद खेले स्कंध कुमार 

आसो सुद नवरात्रि आयी 

कात्यायनी माता षष्ठम दुर्गा स्वरूप 

कात्यायनी ऋषि घर जन्म लिया 

 कहेलाई कात्यायनी देवी 

स्वरूप तेजमय ओर अत्यंत चमकीला  

चार भुजा सिंह पर बिराजे  

आसो सुद नवरात्रि आयी 

कालरात्रि माता सप्तम दुर्गा स्वरूप 

भक्तों को सदैव शुभ फल प्रदान करती 

रक्तबीज नाम राक्षक संहार करने 

धारण किया प्रचंड रूप 

आसो सुद नवरात्रि आयी 

महागौरी माता आठवा दुर्गा स्वरूप 

श्वेत वस्त्र धारण कर गौ पर बिराजे 

जो करे पूजा पूर्वसंचित पाप नष्ट हो जाए 

आमोध फलदायिनी कल्याणकारी 

आसो सुद नवरात्रि आयी

सिद्धिदात्री माता नौवा दुर्गा स्वरूप 

कमल पे बिराजे उपासना करे जो पाए 

सिद्धि , मनोकामना पूर्ण हो जाए 

आसो सुद नवरात्रि आयी 

भक्त दीप जलाए माँ तेरे 

भाव भक्ति से रिजाये बाण तेरे 

Radhe...





 

Previous Post Next Post