नवरात्रि



आसो सुद नवरात्रि आयी 

भक्त दीप जलाए माँ तेरे 

भाव भक्ति से रिजाये बाण तेरे 

माँ शैलीपुत्री प्रथम दुर्गा स्वरूप 

बिराजे वृषभ पर 

धारण हाथ कमल त्रिशूल 

आसो सुद नवरात्रि आयी 

माँ भ्रह्मचारिणी द्वितीय दुर्गा स्वरूप

अत्यंत ज्योतिमय हाथ कमंडल सुशोभती 

कठोर तपस्या से कहेलाई भ्रह्मचारिणी 

आसो सुद नवरात्रि आयी 

चंद्रघण्टा देवी तृतीय दुर्गा स्वरूप

सिंह पर बिराजे मस्तक अर्ध चंद्र सुशोभाती 

रंग स्वर्ण के समान चमकीला 

आसो सुद नवरात्रि आयी 

कूष्मांडा माता चतुर्थ दुर्गा स्वरूप 

चारों ओर अंधकार छाया 

तब अपनी ऊर्जा को बचाया 

आठ भुजाये धारण कर 

सृष्टि का उधार किया  

आसो सुद नवरात्रि आयी 

स्कंदमाता पंचम दुर्गा स्वरूप 

कमल आसान पर बिराजे स्वरूप मन मोहक 

चार भुजा दो मे कमल एक हाथ मुद्रा 

एक हाथ  से गोद खेले स्कंध कुमार 

आसो सुद नवरात्रि आयी 

कात्यायनी माता षष्ठम दुर्गा स्वरूप 

कात्यायनी ऋषि घर जन्म लिया 

 कहेलाई कात्यायनी देवी 

स्वरूप तेजमय ओर अत्यंत चमकीला  

चार भुजा सिंह पर बिराजे  

आसो सुद नवरात्रि आयी 

कालरात्रि माता सप्तम दुर्गा स्वरूप 

भक्तों को सदैव शुभ फल प्रदान करती 

रक्तबीज नाम राक्षक संहार करने 

धारण किया प्रचंड रूप 

आसो सुद नवरात्रि आयी 

महागौरी माता आठवा दुर्गा स्वरूप 

श्वेत वस्त्र धारण कर गौ पर बिराजे 

जो करे पूजा पूर्वसंचित पाप नष्ट हो जाए 

आमोध फलदायिनी कल्याणकारी 

आसो सुद नवरात्रि आयी

सिद्धिदात्री माता नौवा दुर्गा स्वरूप 

कमल पे बिराजे उपासना करे जो पाए 

सिद्धि , मनोकामना पूर्ण हो जाए 

आसो सुद नवरात्रि आयी 

भक्त दीप जलाए माँ तेरे 

भाव भक्ति से रिजाये बाण तेरे 

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