क्यू ना करू
क्यू ना करू मे इंतजार उसका
वो अपना है गेर नहीं
क्यू ना देखू मे ख्वाब उसके
वो चाहत है मेरी बेवफा तो नहीं
क्यू ना करू मे इश्क उसे
वो मेरा मुक़दार है ना मुराद तो नहीं
क्यू ना कहू मे उसे अपना
वो मेरा आज है गुजरा हुवा कल तो नहीं
क्यू ना मागू दुवा उसे मिलने की
वो मेरी ख्वाईश है कुर्बानी तो नहीं
यु ही रहे साथ हमारा
ये दो चार दिन की तो बात नहीं
रूह से रूह का तालुक है
चंद मुलाकातों की मोहताज नहीं
मंजूर है मुजे इंतजार सदियो का
ये मेरे सब्र का इम्तहान ही सही
तेरी मोहब्बत को पाना जन्नत है मेरी
मेरी मोहब्बत कोई आम सी नहीं
ना मिल कर भी तेरी आरज़ू रहती है
मिलना कोई आम नहीं
हम मिले ना मिले ये खुद जाने
तूजे दुवा ओ मे मांगना इबादत है मेरी
तूजे ना चाहने की वजा नहीं मेरी पास
तूजे चाहने को एक जनम है मेरे पास
Radhe...
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