कभी कबार हम ज़िंदगी से ऊब से जाते है
इसे वक्त कुछ भी अच्छा नहीं लगता
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कभी कभी टूट के रोने को जी करता है
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तुम्हें मेरे जहेन से मिटाने के लिए
ये ज़िंदगी काम पड़ जाएगी
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कितना मुश्किल होता है
दूसरों की अपनी मोहब्बत समजाना
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ज़िंदगी के लिए हम कितने ख्वाब सजाते है
पर होता वही है जो हमारे मालिक ने सोच होता है
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मोहब्बत को पाना इतना मुश्किल क्यू होता है
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कितना भी कर ले कुछ तो
कमी रेह ही जाती है जीने मे
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जो हस के जिन सिख लेता है
समजलो उसे जीने का सादिका आ गया
Radhe...
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