कब का लूट गया काफ़िल अब 

तो बिखरे टुकड़े समेट रहे है 




ये समज लो की बीच भवर मे हु 

ना ही डूब सकती हु ना ही उभर 




ये इश्क है मेरी जान इस मे 

ता-उम्र जला जाता है या मरा जाता है 




क्या खास क्या अपने अब 

तो सब लगते है एक जेसे 




किसकी इतनी ओकत की किसी का 

दिल तोड़े दर्द तो उम्मीद टूटने से होता है 




हसी तो दूर की बात है  अब 

तो रो भी नहीं पाते दिल से 




मोहब्बत जिंदादिली से की जाती है 




मोहब्बत हो तो जानों टूटना क्या होता है 




बिखरे टुकड़े जब चुभते है तो 

सफर मे रुकना भी पड़ता है 

- Radhe...