एकेलापन अब अच्छा लगता है लोगों की
मोजूदगी के अहेसास से तो बेहतर है
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दुनिया मे कितना शोर है
मेरे भीतर के मन मे कितनी शांति
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परायों की जुबान तो कड़वी ही होती है
अपने तो चासनी मे भी जहेर घोले दे
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अपना घर अपना बिस्तर अपनी छुरी आपना घाव
सिर्फ अपनों को ही पता होता है
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पतजड की तरह तुम से बिछड़ गए थे
वसंत की तरह तुम मुजे ओढ़ लो
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मेरी ज़िंदगी का पहला ओर
आखिरी ख्वाब हो तुम
Radhe...
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