तुम्हारी ओर मेरी तुलना हो ही नहीं सकती
तुम वसंत बाहर के
मे उजाड़ हुवा बाग
तुम जहा जाओ बाहर लाओ
मे मन की उदासी
तुम वो पर्बत से गिरने वाले हसीन जरना
मे फर्श पे बिखरा पानी
तुम सुंदरता की मूरत
मे गिरने का आगाज
तुम मोर की तरह रंगीन
मे रंगों मे धब्बा
तुम सावन की बाहर
मे तबाहि का मंजर
तुम दिन की शुरुआत
मे ढहलती शाम
तुम सुबह का उजाला लाओ
मे जीवन मे अंधकार लाऊ
तुम हृदय के प्रेरणा जेसे
मे हृदय का दर्द
तुम मुश्किल मे होसला जेसे
मे बर्बादी की निव
तुम पासर के पत्थर समान
मे रेत का कंकर
तुम प्रकृति से हरे भरे
मे बे-जान रेगिस्तान
ओर क्या लीखू मे तुम्हारी तुलना मे
तुम्हारी ओर मेरी तुलना हो ही नहीं सकती
हो ही नहीं सकती
Radhe...
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