LOVE Poetry in Hindi


तुम्हारी ओर मेरी तुलना हो ही नहीं सकती 

तुम वसंत बाहर के 

मे उजाड़ हुवा बाग 

तुम जहा जाओ बाहर लाओ  

मे मन की उदासी 

तुम वो पर्बत से गिरने वाले हसीन जरना 

मे फर्श पे बिखरा पानी 

तुम सुंदरता की मूरत 

मे गिरने का आगाज 

तुम मोर की तरह रंगीन 

मे रंगों मे धब्बा 

तुम सावन की बाहर 

मे तबाहि का मंजर 

तुम दिन की शुरुआत 

मे ढहलती शाम 

तुम सुबह का उजाला लाओ  

मे  जीवन मे अंधकार लाऊ 

तुम हृदय के प्रेरणा जेसे 

मे हृदय का दर्द 

तुम मुश्किल मे होसला जेसे 

मे बर्बादी की निव 

तुम पासर के पत्थर समान

मे रेत का कंकर 

तुम प्रकृति से हरे भरे 

मे बे-जान रेगिस्तान  

ओर क्या लीखू मे तुम्हारी तुलना मे 

तुम्हारी ओर मेरी तुलना हो ही नहीं सकती 

 हो ही नहीं सकती 

Radhe...


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