जब  तुम साथ होते हो तो मुजे 

तुम्हारे अलावा कुछ याद नहीं होता 


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 तुम  से जुड़ा होकर कैसे रहुगा 

ना ही हस पाउगा ना ही रो पाउगा 


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मिलकर भी हम दुर है 

अब ये ना हमे मंजूर है 


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कोई वादा ही नहीं किया तुमने 

जानते थे निभा नहीं सकोगे 


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शरतों पे हो वो प्यार कैसा

प्यार हो तो शर्त कैसी 


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जो एज्जत न दे पाए

वो प्यार क्या देगा 


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प्यार मे इतने भी ना खोना की 

खुद को दरबदर ढुढ़ते फिरो



प्यार एक मोज की तरह होता है जेसे दरिया 

मे उठती है ओर किनारे को तबाह कर देती है   


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प्यार जिन सिखाता है तो 

जीते जी मारना भी 


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तेरी बाते करते वक्त अब मेरे 

अल्फाज भी कम पड जाते है 

Radhe...