हमेशा सफर मे ही रहे गई  



आज मे तन्हा हु 

कल तूम भी तन्हा होंगे 

देखो ये वक्त ओर 

क्या सितम ढाता है 

तूम भी अजियत मे होंगे 

ओर सायद मे भी काही 

पर इसका आजला ना तूम भर पाओगे ना मे 

इतनी दूरी हो चुकी होगी की मूड ने की 

कोई राह ना बची होगी 

तूम भी दरबदर भटकोगे ओर मे भी 

सुकून ना पाएगे काही

तुम्हें छोड़कर न मे मेरा रहा 

तूम को भूलकर ना किसी ओर का ना हो पाउगा 

दो गज की दूरी ने सदियों के फासले तेय करने को

 मजबूर कर दिया 

आज फिर ये दुनिया भूलकर मे सिर्फ 

तेरी होना चाहती हु 

हा है अभी मुजे तुमसे मोहब्बत ओर तुम्हें भी 

फर्क इतना है की ये कहानी कभी 

अपने मुकाम पे नहीं हो गई

हमेशा सफर मे ही रहे गई  

Radhe...