माजी को भुलाना इतना आसन नही होता
माजी को भुलाना इतना आसन नही होता
उसका अहेसास हमेशा तजा रहेता है
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आज पहली बार ये एहसास हुवा
तुम मेरे लिए कितने अजीज हो
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महेफिल भी तन्हा लगती है
तेरी गेर मोजुदगी में
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इश्क मुलाकात का मोहताज नही होता
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मेरी जान तुज मे बसती है
ये बात किसी से छुपी है
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इनकार को इजहार में बदल दे
महोब्बत की चाले है सारी
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गुस्सा कर ले मुज पे पर नाराज़ ना रह
तेरी नाराज़गी छुरी की तरह दिल को छल्ली करता है
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महोब्बत देख कर की जाती तो
दुनिया मे बेवफा के क़िस्से मसहुर ना होते
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ख्याल रखा करो अपना
आज कल ज्यादा फ़िक्र होती है तुम्हारी
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रोना चाहती हु खूब
तुम्हे बहो में भर के
Radhe...
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