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Sad Poetry in hindi

बहोत हुवा अब कोई उमींद नही बची मुजमे 



बहोत हुवा अब कोई उमींद नही बची मुजमे 

नहीं कोई रंग जो किसी और को रंग सके 

थक चुकी हु में अब सबसे 

और कोई बात नही करनी मुझे 

मेरे हाल पर में जीलूगा  

कोइ और कोशिश नही करनी अब 

नहीं किसे कुछ कहना है मुझे 

बस और कितना दर्द देना चाहती है जिंदगी 

हर दर्द सहना है जिस भी मोड़ पर ले जाये 

हर मोड़ पर बरक़रार रहूगा में

चाहे कितनी भी धुप मिले 

हर धुप में जलुगा में 

कतरा कतरा जलुगा में 

अपनी हर एक ख्वाएश को दफनाऊगा में 

हार गया में खुद को साबित करते करते

अब नही है इतनी हिम्मत की 

किसी को समजा सकू 

ज़माने को साबित करना होता तो जरुरत ही नही है 

यहाँ तो अपने से ही घाव मिले है 

जो न कभी भर सकेगे ना ही कभी मिटेगे     

Radhe...

 

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