Short Poetry in Hindi

आगंन में खेले घर घर जहा बचपन बिता  


आगंन में खेले घर घर जहा 

बचपन बिता खिलोनो में 

बिछड़ा वो यार जो था जहा में 

मिला नही फिर ऐसा एहसास कभी 

जो एहसास पाया बचपन में 

मीठी वो माँ की डाट 

तरसे उसे सुनने को आज कान 

फिर वही बहन की प्यारी बाते 

भाई का दिन रात परेशान करना

और लड़ाई करना क्या दिन थे वो भी 

दुसरो के खेत में फलो की चोरी करना फिर 

खूब भाग न मालिक के आ जाने पे

वो भी क्या दिन थे जब चहरे पे मुस्कान और 

जहेंन में सुकून होता था 

कोई बात की परेसानी नही कोई फ़िक्र नही

अपनी धुन में रहना  

वो पुराने दिन याद आते है एक 

प्यारी सी मुस्कान आती है 

मन खुश कर जाती है 

                                                     Radhe...

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