Hindi Shayari

गुस्ताकिया 

वो रुठा था मुझसे 

 गेरो से क्या शिकवा था

      उसे नाराज़गी  मुझसे थी.. 

 तो शेहर क्यु छोडा था 


***


      चलो बेशक मोहब्बत नहीं थी 

   मुझसे तो बता देते

यु दबे पौउ शेहर छोड़ने 

       कि जरुरत क्या थी 

***


हर शाम तेरी याद मे जला हु 

ये मत पुछ किस तरह

खुद को समेटे हुये हर रोज तेरे 

सामने मुस्कुरता हु 

***


लगाया था एक पेड़ माना भी 

सवर न सका वो इस दुनिया मे 

न जाने कोन सी नाराजगी 

लिए बेठा है 


***


मौत भी आ जाए अब तो सिकायत नहीं 

ऐ मालिक तेरे जहान ने जीते जी मारा है  मुजे

 
***


हाले दिल बाय किसे करे 

जिसने ये हाल किया है 

उसे अब हम क्या सिकवा गीला करे 

कर भी ले हो जाए हमारे तो 

कहो जाकर को उनसे 

यू दूर रह के तड़पाया न करो हमे 


***


महोब्बत तो अधूरी रही

चाह अधूरी न छोड़ो 

मर जाएगे हम 

यू बेवजा ना छोड़ो हमे  

*** 


हा हु मे पागल तेरे प्यार मे 

किया भी तो तूने है 

यू प्यार न किया होता तो 

पागल न होता तेरे प्यार मे 

                                                             Radhe...
                                             
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