दस्तावेज़
हमे लगा फ़िक्र हे उन्हे हमारी...
फिर पता चला कि
ये तो फ़ितरत हे उन्की..
सोचते है फिर से ज़लिम बन जाये
ये सरफ़त कि ज़िन्दगी
हम से जीयि नहीं जाती..
देखकर उसे चहेरा खिला था..
वो आज उसी को देखकर
मुर्जने को जि करता है पता होता..
कि हालत बिगड़ने वाले..आधे रास्ते से मुड जाते...
तुजे तो क्या कहे हम.. तु तो
अपने साये से भी खुद को
बचये फिरता है...
फिर हम से तो मिलो दुर रहना बनता है
जान कर भी अनदेखा करना
फ़ितरत हो गए उनकी...
सोचो तो हम कितने बेकुफ़ है..
वो भी...हमे उनकी मोहोब्ब्त
ज़ताने कि अदा लगी..
बिखरे हुइ रास्तो पे चलना
असान नहीं होता
जो चलते है इन्हे हि
पता होता है की
कितने कंकर चुभते है..
जो अनगिनत होते..
अपनो से मिले हुइ तोफ़े होते है..
जिसे लिने का रिवाज है लोटाने का नहीं.
मेरी चाहत कि कोइ उम्र नहीं..
पर तुजे कदर नहीं तो
मेरी नज़र मे रहेने की तेरी औकत नहीं...
Radhe...
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