ख़ता थी मेरी...
तुझे चाहना ख़ता थी मेरी...
ये खता भी मंजूर थी मुझे
तुजे पा तो ना सके.. पर
भुल भी ना पाये
तेरी यादो का सिलसिला इस कदर
बेकरार है कि.. चेन कि नीद सो
भी ना पाये...
वेसे तो रातभर जग ना चाहता
है ये आवरा... पर ये भी तो
दिमाग करने नहीं देता
अजीब सी उलजन है
या कश्मकश....
खुदा जाने क्या होगा
फिर भी एक आस
आप मुझे मिल जाओ
Radhe...
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